भारतीय क्रिकेट जगत से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। टीम इंडिया के सबसे सफल और करिश्माई बल्लेबाज विराट कोहली ने अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। यह खबर न केवल भारतीय प्रशंसकों के लिए, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट समुदाय के लिए किसी सदमे से कम नहीं है।

कोहली के इस फैसले पर इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने गहरा दुख और आश्चर्य व्यक्त किया है। उन्होंने कोहली को “टेस्ट क्रिकेट का सबसे बड़ा चेहरा” बताया और कहा कि उनके बिना यह प्रारूप अधूरा लगने लगेगा।
विराट कोहली का टेस्ट करियर: आँकड़ों में महानता
विराट कोहली ने अपने टेस्ट करियर में कुल 123 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 30 शतक और 46.85 की औसत से 9230 रन बनाए। वह उन चुनिंदा भारतीय खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने विदेशी धरती पर भी अपने बल्ले से जलवा दिखाया।
उनके करियर की कुछ अहम उपलब्धियाँ:
- 123 टेस्ट, 9230 रन
- 30 शतक, 29 अर्धशतक
- 7 दोहरे शतक, जो भारतीय रिकॉर्ड है
- 68 टेस्ट में कप्तानी, जिनमें से 40 मैचों में भारत को जीत
कोहली का आक्रामक नेतृत्व और मैदान पर उनकी ऊर्जा ने भारतीय टेस्ट टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
माइकल वॉन की प्रतिक्रिया: “अब कोहली को सफेद जर्सी में नहीं देख पाएंगे, दुख है”
माइकल वॉन, जो इंग्लैंड के लिए एक सफल कप्तान रह चुके हैं, ने ‘द टेलीग्राफ’ में लिखे अपने कॉलम में कोहली की तारीफों के पुल बांध दिए। उन्होंने लिखा:
“टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने वालों में बहुत कम ही ऐसे हैं जिनके जाने से मैं वाकई दुखी हुआ हूं कि अब उन्हें दोबारा खेलते देखने का मौका नहीं मिलेगा।”
“मैं स्तब्ध हूं कि वह अभी संन्यास ले रहा है और दुखी भी हूं। मुझे नहीं लगता कि टेस्ट प्रारूप के लिए किसी और बल्लेबाज ने इतना किया है जितना कोहली ने।”
माइकल वॉन के इस बयान ने कोहली की टेस्ट क्रिकेट में भूमिका की गहराई को उजागर कर दिया है।
टेस्ट क्रिकेट को फिर से जीवित करने वाला खिलाड़ी
एक दौर ऐसा भी आया जब माना जाने लगा था कि भारत में टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता घट रही है। लेकिन कोहली के कप्तान बनने के बाद परिदृश्य बदला। वॉन ने यह भी स्वीकार किया कि:
“जब विराट कोहली ने कप्तानी संभाली तो ऐसा लगा कि भारत की टेस्ट क्रिकेट में रुचि कम हो गई है। एम एस धोनी सफेद गेंद के महान खिलाड़ी थे, लेकिन उनकी कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट से भावनात्मक जुड़ाव कम दिखता था।”
“विराट ने टेस्ट क्रिकेट को फिर से प्रासंगिक बनाया, दर्शकों को स्टेडियम में खींचा और युवाओं को इस प्रारूप से जोड़ने का काम किया।”
कोहली की कप्तानी में भारत की टेस्ट में नई पहचान
विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में कई ऐतिहासिक जीत दर्ज कीं। चाहे ऑस्ट्रेलिया में भारत की पहली सीरीज़ जीत हो या इंग्लैंड में टीम इंडिया की मजबूती, कोहली की कप्तानी और जुनून ने टीम को आक्रामक, फिट और मानसिक रूप से मज़बूत बनाया।
- 2018 में ऑस्ट्रेलिया को उसी की ज़मीन पर हराना
- घरेलू मैदानों पर अपराजेय रिकॉर्ड
- तेज गेंदबाज़ी इकाई का निर्माण और मजबूती देना
नातिक वर्मा कहते हैं, “विराट कोहली ने न केवल अपने बल्ले से टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखा, बल्कि कप्तानी में जो जुनून दिखाया, उसने युवा पीढ़ी को सफेद जर्सी पहनने का सपना दिखाया।”
कोहली का जाना टेस्ट क्रिकेट के लिए बड़ा झटका
माइकल वॉन ने कोहली के संन्यास को टेस्ट क्रिकेट के लिए बड़ा झटका बताया। उन्होंने लिखा:
“उनका जुनून, कौशल और टेस्ट क्रिकेट को लेकर उनके विचारों ने काफी सकारात्मक असर डाला। उनके बिना यह प्रारूप बेहद नीरस होता और अपनी अपील खो चुका होता।”
“उसका जाना टेस्ट क्रिकेट के लिए झटका है। उसने आने वाली पीढ़ी को इस प्रारूप से प्यार करना सिखाया।”
टी20 और वनडे की चमक-धमक के बीच कोहली जैसे खिलाड़ी का टेस्ट क्रिकेट से जुड़े रहना इस प्रारूप को संतुलन प्रदान करता था।
कोहली के बिना भारतीय टेस्ट टीम की दिशा?
अब सवाल यह है कि विराट कोहली के बिना भारतीय टेस्ट टीम की अगली दिशा क्या होगी?
- क्या शुभमन गिल या यशस्वी जायसवाल जैसे युवा खिलाड़ी उनकी जगह भर पाएंगे?
- क्या टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता वैसी बनी रह पाएगी जैसी विराट के दौर में थी?
हालांकि कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व में टीम इंडिया का संतुलन अच्छा है, लेकिन कोहली जैसा खिलाड़ी युगों में एक बार आता है।
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विराट कोहली: तीनों फॉर्मेट में भारतीय क्रिकेट का स्तंभ
कोहली का करियर यह दिखाता है कि कैसे एक खिलाड़ी तीनों प्रारूपों में न केवल खेल सकता है बल्कि राज भी कर सकता है।
- वनडे में 50 शतक
- टी20 में 4000+ रन
- टेस्ट में 9000+ रन
- कुल 80 अंतरराष्ट्रीय शतक
उनकी फिटनेस, मानसिक दृढ़ता और समर्पण भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
निष्कर्ष: विराट कोहली का योगदान अमिट है
विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से जाना न केवल एक खिलाड़ी का रिटायरमेंट है, बल्कि यह उस युग का अंत है जिसमें दर्शक खिलाड़ियों को उनके जुनून, स्किल और प्रतिबद्धता के लिए देखते थे। माइकल वॉन जैसे दिग्गज का बयान इस बात का प्रमाण है कि कोहली का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक था।